कुछ समय तक लाहौर में अपनी एक लॅा फर्म की स्थापना करके वकालत की। फिर राजनीति में रूचि होने के कारण इन्होंने 1930 में भारतीय आम चुनावों में गुजरात जिला बोर्ड के लिए चुनाव लड़ा और निर्विरोध चुने गये।
राजनीति की सिढ़ियां चढ़ते-चढ़ते वे सन् 1942 में मुस्लिम लीग में शामिल हुए। 1945 में इन्हें मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। मुस्लिम लीग के मंच के माध्यम से पाकिस्तान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। स्वतंत्रता के पश्चात चैाधरी साहब को 1947 में लियाकत अली खान सरकार में मंत्री नियुक्त किया गया था ।
इन्होंने 1951 में मुस्लिम लीग के टिकट पर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा और विधानसभा के सदस्य बने। 1952 में, इन्होंने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया। 1956 के चुनावों में, इन्हें पश्चिम पाकिस्तान विधानसभा के सदस्य के रूप में चुना गया। ये 20 मई 1956 से 7 अक्टूबर 1958 तक इसके अध्यक्ष रहे।
इन्होंने 1962 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में प्रवेश किया और सदन के उप-विपक्ष नेता के रूप में कार्यभार संभाला।
ये 1965 से 1969 तक पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के पद पर रहे । 1970 में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के टिकट पर नेशनल असेंबली के सदस्य का चुनाव जीतकर पुनः नेशनल असेंबली में पहुंचे और 1972 से 1973 तक पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के 8 वें स्पीकर के रूप में कार्य किया । इन्होंने सन् 1973 से 1978 तक पाकिस्तान के पांचवे राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं दी। परन्तु 1978 में मार्शल लॉ के प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया उल-हक के साथ विवाद के कारण राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया ।
गुर्जर समाज के ये चमके सितारे 2 जून 1982 में 78 वर्ष की उम्र में अल्लाह को प्यारे हो गये। देश के राष्ट्रपति के पद तक पहुंचकर इस महापुरूष ने गुर्जर समाज को एक अलग पहचान दी है।
Reference:- 1. गुर्जर होने का आधार
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